ना थी उसे पहचान...., ना थी मुझे पहचान... इम्तहान ने हम दोनों को पहचान करना सीखा दिया... क्या .... वो मुहब्बत ना थी....! ना ही वो नज़रें मिलाया करती थी.., ना ही मैं नज़रे मिलाया करता था.... बेसब्री ने हम दोनों को नज़रें मिलाना सीखा दिया... क्या .... वो मुहब्बत ना थी.... ना वो मिला करती थी....ना ही मैं मिला करता था... वक्त ने हम दोनों को मिलाना सीखा दिया.... क्या ..... वो मुहब्बत ना थी....! ना वो बातें किया करती थी..., ना मैं बातें किया करता था .... सवालों ने हम दोनों को बातें करना सीखा दिया.... क्या ..... वो मुहब्बत ना थी....! ना उसे इश्क़ था...., ना ही मुझे इश्क़ था.... लम्हों ने हम दोनों को इश्क़ करना सीखा दिया.... क्या .... वो मुहब्बत ना थी.....! ना उसे दुर जाना था..., ना ही मुझे दुर जाना था... मंजिलो ने हम दोनों को दुर जाना सीखा दिया.... क्या ..... वो मुहब्बत ना थी....! पहचान, नज़रे, मिलना, बातें, इश्क़ और दुरियां यह सब ख्वाब था.... शायद..... वो मुहब्बत ना थी....! @Sandeep_Shah #SandeepGlm Facebook Instagram