#आठवणGlm समुद्र किनाऱ्यावर चालताना मऊ वाळूवर पडलेलं प्रत्येक पाऊल आपली छाप सोडून जातं... मग हळूच एक लाट येते... आणि ती छाप अलगद आपल्या सोबत घेऊन जाते... अस्सल जीवनातही असंच होतं... ...
कुछ करना है, तो डटकर चल, थोड़ा दुनियां से हटकर चल, लीख पर तो सभी चल लेते है, कभी इतिहास को पलटकर चल, बिना काम के मुकाम कैसा ? बिना मेहनत के, दाम कैसा ? जब तक ना हाँसिल हो ...
जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाय... शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाए... जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगी... तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर ...